मैंने हाथ बढ़ाया, जैसे ही उसने रूमाल लेना चाहा…मैंने कसकर उसे खींच लिया और सीने से दबोच कर छिपकली की तरह चिपका लिया। इससे पहले वो कुछ बोलती मैंने उसके होंठ अपने होंठों से कस दिए। उसकी सलवार पैरों पर नीचे जमीं पर गिर चुकी थी, वो छूटने के लिए मचल उठी.. मैंने होंठों को चूसना जारी रखते हुए उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया… पांच मिनट में ही मैंने जान लिया कि उसकी चूचियाँ तन चुकी थी…मतलब साफ़ था- इक बलिष्ठ मर्द से रगड़वा कर वो चिकनी मादा उत्तेजित हो चुकी थी ! पर जैसे ही उसके होंठों को मैंने आजाद किया, वो बोली- नहीं ! यह क्या कर रहे हो…? मैं कुंवारी हूँ … राधा ! मैं तुम्हारा दीवाना हो चुका हूँ ! मुझसे शादी कर लेना ! मैं तैयार हूँ ! पर यह प्यार का रस आज पिला दो मुझे …. ! प्लीज़ ! मैं उसके नंगे चूतड़ों और चूचियों को कस कर मसलने लगा, वो उत्तेजित हो चुकी थी ..शायद पहली बार किसी मर्द का इतना निकट स्पर्श मिला था उसे… वो बोली- माही, प्यार तो मुझे भी हो गया है तुमसे पहली ही नज़र में ! पर यह अभी गलत है..
Part: 2
July 4th, 2011 at 11:22 am
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