मेरे घर वाले जब इन्दौर में जब सेटल हुए तो मुझे पापा ने होस्टल में डाल दिया। होस्टल में रह कर मैंने बीएससी की पढ़ाई पूरी की थी। मेरे होस्टल के पास ही पापा के एक दोस्त रहते थे, पापा ने उन्हें मेरा गार्जियन बना दिया था। वो अंकल करीब ५७-५८ साल के थे। उनका बिजनेस बहुत फ़ैला हुआ था। एक तो उन्हें बिजनेस सम्हालना और फ़िर टूर पर जाना… उन्हें घर के लिये समय ही नहीं मिलता था। आन्टी नहीं रही थी… बस उनके दो लड़के थे, जो बिजनेस में उनका साथ देते थे। घर पर वो अकेले रहते थे। उन्होने घर की एक चाबी मुझे भी दे रखी थी। मैं कम्प्यूटर के लिये रोज़ शाम को वहां जाती थी… अंकल कभी मिलते…कभी नहीं मिलते थे… उस दिन मैं जब घर गई तो अंकल ड्रिंक कर रहे थे और कुछ काम कर रहे थे… मैं रोज़ की तरह कम्प्यूटर पर अपने ईमेल चेक करने लगी…आज अंकल मुझे घूर रहे थे… मुझे भी अहसास हुआ कि आज …अंकल कुछ मूड में हैं…मुझे लगता है तुम्हें कम्प्यूटर की बहुत जरूरत है क्योंकि तुम रोज़ ही कम्प्यूटर प्रयोग करती हो !””हां अंकल… पर पापा मुझे अभी नहीं दिलायेंगे…”तुम चाहो तो ये कम्प्यूटर सेट तुम्हारा हो सकता है… पर तुम्हे मेरा एक छोटा सा काम करना पड़ेगा…” सुनते ही मैं उछल पड़ी…
April 22nd, 2011 at 6:11 am
mast hai sunia ji aap kab mujhse apni choot aur gaand marwaogi