नमस्कार दोस्तों मैं गणेश, पुणे में रहता हूँ। मैं इस वेबसाईट का बहुत बड़ा प्रशंसक हूँ और मैंने इसपर लगभग सारी कहानियाँ पढ़ी हैं। कभी-कभी मुझे लगता है कि इस साईट की कहानियाँ नकली होतीं हैं पर जब मैं अपनी पहली घटना को याद करता हूँ तो तब मुझे लगता है कि कुछ भी सम्भव है। मैं अपनी एक वास्तविक कहानी लिख रहा हूँ, अगर आपको पसन्द आए तो मुझे उत्तर लिखें। तो अब मैं अपनी कहानी पर आता हूँ। बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था…मेरे अन्तिम परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं और मैं उदयपुर से अपने पैतृक नगर सूरत ट्रेन से जाने वाला था। शाम के चार बजे थे, मैं सही समय पर स्टेशन पहुँच गया था, मेरी सीट किनारे और नीचे वाली थी। मैं ट्रेन में बैठा हुआ सोच रहा था कि आगे क्या करना है। वैसे ट्रेन में कोई अधिक भीड़ नहीं थी। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, मैंने देखा कि एक औरत जो लगभग ३०-३२ साल की थी आई। उसने मुझसे पूछा कि आपकी सीट कौन सी है। मैंने उसे बताया – “सीट नम्बर ११” उसने अपनी टिकट देखी उसकी सीट की संख्या १२ थी, यानि ऊपर वाली सीट। उसके साथ उसका ३ साल का लड़का भी था। वह खिड़की पर आकर बैठ गया।..
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