वो आह ओह्ह उफ़्फ़्फ़ करता रहा, मैं जोश भरे अन्दाज में उसकी मुठ मारती रही। मेरा यह पहला मौका था कि मैं किसी की मुठ मार रही थी। वो अब कसमसा उठा … धीरे से झुक गया मेरे कंधों को जोर से पकड़ लिया और लण्ड ने एक भरपूर पिचकारी उछाल दी। उसके मुख से एक वासना भरी सीत्कार निकल गई। रुक रुक कर उसका वीर्य निकलता रहा। फिर मैंने उसे हिला हिला कर सारा बचा खुचा वीर्य झटक डाला। उसने झड़ने के बाद अपना पजामा ऊपर खींच लिया। मुझे मन ही मन में बहुत खीज आई। बस माल निकल गया तो पहचानते नहीं ! हम दोनों फिर से सामान्य हो गये थे, यहां-वहां की बातें करने लग गये थे। कुछ देर बाद उसके हाथ मेरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगे। मेरे दिल की आग बुझते बुझते फिर से भड़क उठी। “सोना, आज की रात मेरे साथ गुजार लो … जी भर कर प्यार करेंगे !” “आप कब से मुझसे प्यार करने लगे… बताओ तो ?” मैंने उसे यूँ ही मजाक में पूछा। “सच बताऊँ… मुझे तो आपसे पहले दिन से ही प्यार हो गया था। “मैं शादीशुदा हूँ, तब भी… एक बच्ची है फिर भी?” “प्यार तो अन्धा होता है ना…” आप तो अन्धे नहीं हो ना…”
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