बहुत अँधेरा है कमरे में रौशनी कर दो , उतार दो यह पैराहन, चांदनी कर दो .
चली भी आओ मैं जकड़ूँगा तुम को बाँहों से ,मैं पीना चाहता हूँ आज बस निगाहों से .
दिखा के अपना हुस्न मेरे होश गुम कर दो ,कि आज प्यार की पहली पहल भी तुम कर दो .
चले भी आओ तड़प के हमारी बाँहों में..
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