Sardi Me Garmi

Posted Feb 24th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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कहानी होती ही अतीत की है। समय का अनुमान पाठक स्वयं लगा सकते हैं। मैंने अपने बचपन का अधिकतर समय अपनी बुआ के गाँव में बिताया, लेकिन पिछले तीन वर्श से नहीं गया। उनका गाँव बहुत छोटा सा है, लेकिन हमारे फूफाजी वहाँ के सम्मानीय व्यक्ति हैं। हमारी बुआ के यहां ससुर के समय की बनाई गई लखौरी ईटों की पुरानी दो मंजिल की बड़ी सी हवेली है। गाँव के आधे से अधिक खेत और बाग उन्हीं के हैं। लेकिन अब सन्नाटा रहता है। बुआ के तीन बेटे और चार बेटियाँ हैं, अब वहाँ कोई भी नहीं रहता है। बेटे सभी कबके जाकर शहरों में बस गये। तीनों लड़किया का भी विवाह के बाद यही हाल हुआ। सब अपने-अपने कार व्यापार में इतने में इतने व्यस्त हो गये कि दबंग व्यक्तित्व की मालकिन हमारी बुआ अकेले घुल-घुल कर समय से पहले ही बूढ़ी हो गयीं। फूफा का तो खैर इधर-उधर में समय कट जाता, लेकिन हमारे चाचाओं और ताउओं में जो भी जाता अपनी बहन के अकेलेपन से घबरा जाता। लोग समझाते भी कि जीजी बेटों के पास चली जाओ, लेकिन वह भला कहाँ जाने वाली थीं! बड़ी मुष्किलों से मझिले भय्या के यहाँ जाकर मोतियाबिन्द का आपरेशन करवाया और चली आयीं। मेरी सरदियों की छुट्टियाँ हुई तो अम्मा ने जबरस्ती भेज दिया। जाकर एक महीने बुआ की सेवा कर आ।….

Comments (2)

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nice sonia
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try to say every story in sexy way so dat v can feel more sexy
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