आशा करता हूँ सभी चूतों और लौड़ों को मेरी यह कहानी भी पहले वाली कहानियो की तरह ही पसंद आएगी, अगर मेरे किसी भी दोस्त को मेरी पहले वाली सारी कहानियाँ पढ़नी हो तो मुझे मेल करें, मेरा इमेल कहानी के अंत में दिया हुआ है… आपने कुछ दिन पहले मेरी और रक्षिता की कहानी जयपुर में पतंगबाजी पढ़ी होगी, आज मैं उसके आगे की कहानी लेकर हाजिर हूँ। मैं अपनी कहानी वहाँ से शुरू करता हूँ जब हमने 14 जनवरी, 2010 को पहली बार चुदाई की थी। उस दिन शाम को रक्षिता बोलती है- जान, आज तो तुमने सच में जन्नत की सैर करा दी ! मैंने उसे चूमते हुए कहा- जानू, अभी तो इस अप्सरा को पूरी जन्नत की सैर करनी बाकी है ! फिर मैं अपने घर चला गया।..