मुझे कुछ कुछ ऐसा प्रतीत होता है कि जिन घरों में भाभियां होती हैं, तो साथ रहने वाले देवर के मन में कभी ना कभी तो पाप जाग ही जाता है और नतीजन भाभियाँ चुदने लगती हैं, या देवर भाभियों के चक्कर में आ ही जाता है। मैं तो कहती हूँ कि आग तो दोनों ओर ही बराबर सी सुलग उठती है …तो वास्तव में इसमें गलती किसी की नहीं होती। आईये देखे, यहाँ श्री मनोहर सिंह जी क्या बता रहे हैं.. मैं गोवा का निवासी हूँ, मेरी यहाँ में पर्यटकों की आवश्यकताओं से सम्बंधित एक दुकान है। यह घटना मेरी जवानी के समय की है जब मैं मात्र 18 वर्ष का था और कॉलेज में पड़गता था। मेरे भैया की शादी हो चुकी थी। मेरे छोटे होने के कारण भाभी मुझसे बहुत स्नेह रखती थी। यूँ तो वो मुझसे सिर्फ़ पांच साल ही बड़ी थी। सच पूछो तो उसके पृष्ठ-उभार मुझे बहुत लुभाते थे, बस ! लुभाते ही थे … पर भाभी के गोल गोल सुघड़ चूतड़ों को दबाने की इच्छा कभी नहीं हुई। भाभी अधिकतर टुक्की वाला ब्लाऊज पहनती थी। उनके कठोर पर्वत मुझे बहुत सुन्दर लगते थे, पर उन्हें मसलने जैसी इच्छा कभी नहीं हुई। उनके चिकने बदन पर मेरी दृष्टि फ़िसल फ़िसल जाया करती थी, पर ऐसा नहीं था कि मैं उस चिकने बदन को अपनी बाहों में लेकर उन्हें चूम लूँ !
Part: 1
March 30th, 2011 at 3:21 pm
i love to listen these exprience
from
sanjay
March 31st, 2011 at 4:24 am
He sunia once u told about ananyasharma.com but i couldn’t find it