Pragati Ki Aatmakatha 3

Posted Mar 04th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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शेखर अब अगले शुक्रवार की तैयारी में जुट गया। वह चाहता था कि अगली बार जब वह प्रगति के साथ हो तो वह अपनी सबसे पुरानी और तीव्र इच्छा को पूरा कर पाए। उसकी इच्छा थी गांड मारने की। वह बहुत सालों से इसकी कोशिश कर रहा था पर किसी कारण बात नहीं बन रही थी। उसे ऐसा लगा कि शायद प्रगति उसे खुश करने के लिए इस बात के लिए राज़ी हो जायेगी। उसे यह भी पता था कि उसकी यह मुराद इतने सालों से पूरी इसलिए नहीं हो पाई थी क्योंकि इस क्रिया मैं लड़की को बहुत दर्द हो सकता है इसीलिए ज्यादातर लड़कियाँ इसके खिलाफ होती हैं। उनके इस दर्द का कारण भी खुद आदमी ही होते हैं, जो अपने मज़े में अंधे हो जाते हैं और लड़की के बारे में नहीं सोचते। शेखर को वह दिन याद है जब वह सातवीं कक्षा में था और एक हॉस्टल में रहता था। तभी एक ग्यारहवीं कक्षा के बड़े लड़के, हर्ष ने उसके साथ एक बार बाथरूम में ज़बरदस्ती करने की कोशिश की थी तो शेखर को कितना दर्द हुआ था वह उसे आज तक याद है। शेखर चाहता था कि जब वह अपनी मन की इतनी पुरानी मुराद पूरी कर रहा हो तब प्रगति को भी मज़ा आना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो न केवल उसका मज़ा दुगना हो जायेगा, हो सकता है प्रगति को भी इसमें इतना मज़ा आये की वह भविष्य में भी उससे गांड मरवाने की इच्छा जताए। शेखर को पता था कि गांड में दर्द दो कारणों से होता है। एक तो चूत के मुकाबले उसका छेद बहुत छोटा होता है जिससे लंड को प्रवेश करने के लिए उसके घेरे को काफी खोलना पड़ता है जिसमें दर्द होता है। दूसरा, चूत के मुकाबले गांड में कोई प्राकृतिक रिसाव नहीं होता जिस से लंड के प्रवेश में आसानी हो सके। इस सूखेपन के कारण भी लंड के प्रवेश से दर्द होता है। यह दर्द आदमी को भी हो सकता है पर लड़की (या जो गांड मरवा रहा हो) को तो होता ही है।..

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really sexy
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