मेरा नाम अजय है और मुझे लोग अज्जू कहकर बुलाते हैं। आशा करता हूँ कि आपको मेरी यह भेंट स्वीकार होगी। मेरा यह मानना है कि दारु और चूत कभी भी झूटी नहीं होती – जब भी मौका मिले, इनसे मजे लेने चाहिए। चूत खूब चोदिये मगर गांड मारना न भूलें। और जब गांड मारें तो अपना रायता उसी के अन्दर छोड़ दें ताकि उस लौंडियाँ की गांड में एक गर्म एहसास रह जाए। यह मेरी शैली है – अब कोई माने या न माने। अब सुनिए मेरी कहानी : मैं शिमला का रहने वाला हूँ। मेरे घर के पास एक परिवार है जिसमें चार बच्चे हैं – दो बेटे और दो बेटियाँ। छोटा बेटा जिसका नाम मुन्नू है, मेरा बहुत अच्छा दोस्त है – और छोटी बेटी जिसका नाम नीलू है – उसके तो क्या कहने। मुझसे सिर्फ दो साल छोटी है। मैं मुन्नू के घर बहुत जाता था। मुन्नू से मिलने और फिर नीलू को छूने। मुन्नू और मैं एक ही क्लास में पढ़ते थे। हम दोनों पढ़ाई भी साथ करते थे और लौंडिया-बाज़ी भी साथ ही करते थे। उसको शायद लगता था कि मैं उसकी बहन के चक्कर में उसके घर आता-जाता हूँ। एक दो बार उसने मुझे नीलू को हसरत भरी नज़रों से देखते हुए पकड़ा भी था। एक दिन उसने मुझसे कहा भी था कि मैं अपनी औकात में रहूँ। हर भाई अपनी बहन को शायद इसी तरह सुरक्षित रखना चाहता है।..
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