मैं बाज़ार जाने के लिये घर से निकल पड़ी। मुख्य सड़क पर आते ही मैंने सिटी बस ली और उस भीड़ में घुस गई। वही हुआ जो मैं चाहती थी। बस में घुसते ही जवान लड़की को देख कर उसके बदन पर हाथ मारना आरम्भ कर दिया। सभी भैन के लौड़े, कोई मेरे चूतड़ों को दबा कर मुझे आनन्दित करता तो कोई मेरे कोमल स्तनों पर हाथ मार देता। कभी कभी तो बस के धक्कों में उनका लण्ड तक मेरे चूतड़ों से दब जाता था। ये हरामजादे मेरी गाण्ड क्यों नहीं मार देते। बस मुझे भड़काते रहते हैं। बस यों ही मस्ताती हुई मैं सब्जी मण्डी पर उतर गई। सब्जी मण्डी में भी मैंने भीड़ वाली जगह ढूंढ ली और उसमें घुस गई। मेरा तन कईयों के बदन से रगड़ गया। किसी मनमौजी ने एक जगह तो मेरी चूंचियाँ तक भींच डाली। मैंने भी उसे पूरा मौका दिया। एक मीठी सी टीस उठ गई दिल में। मैंने उसे इधर उधर देखा, वो मुस्कराता हुआ मेरे पीछे ही नजर आ गया। फिर मैंने अपनी गाण्ड उसी की तरफ़ घुमा दी। फिर मैं सब्जी वाले के पास झुक कर चूतड़ों को उभार कर सब्जी लेने लगी। मेरी चूतड़ से एक के बाद एक कई लण्ड टकराये। कोई कोई तो दरार में दबा भी देते थे और ऐसे अन्जान बन जाते थे कि जैसे कुछ नहीं किया हो। इसी तरह से मैं बाजार में अक्सर मस्ताती थी।…
July 27th, 2011 at 12:38 pm
very nice dear tumhari aawaj ki yad se hi mera land khada ho jata hai
July 28th, 2011 at 5:32 am
hi meri jaan SUNIA
story sunkar bahut maza aaya, isme sab kuch tha
choot, lund gaand galiya
July 28th, 2011 at 9:58 am
Hi ek baar mujh se bhi dabwao na
July 29th, 2011 at 7:06 am
excellent yar …pura hi galiya wala story suano plssssssssssss