दोस्तो, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद कि आपने मेरी कहानियाँ ‘माला की चुदाई’, ‘मजा ओर मलाई’, ‘जब गांड मारी जम के’ व ‘मेरी पड़ोसन रिया की चुदाई’ पढ़ी और आपने जो मेरा साथ दिया व लड़कियों व लड़कों के बहुत से मेल भी आये जिन्होने मेरा होंसला बुलन्द किया उसके लिये एक बार और धन्यवाद! एक मेल ऐसा भी आया जिसमें मुझे बताया गया कि आप अपनी कहानियों में अश्लील भाषा का प्रयोग नहीं करते, जैसे – रंडी, बहन की लौड़ी, वेश्या वगैरह वगैरह। मैं बताना चाहूंगा कि मेरे अब तक के अनुभव के आधार पर आज तक मैंने कई कॉलगर्ल, रिश्तेदारी में, पत्नी, गर्लफ्रेण्ड आदि के साथ चुदाई कार्यक्रम किये, मगर चुदाई कार्यक्रम के दौरान ना तो उनके मुंह से कोई अश्लील भाषा निकली और ना ही मेरे मुंह से ! तो कैसे मान लूं कि चोदते वक्त अगर अश्लील भाषा का प्रयोग किया जाये तो औरत और मर्द दोनो में उत्तेजना बढ़ती है। अश्लील भाषा का प्रयोग चोदते समय तो कतई नहीं करना चाहिये, उत्तेजना बढ़ने के बजाय हो सकता है कि शिथिलता आ जाये। खैर ……. दोस्तो, आज नई कहानी लेकर आया हूँ ! मेरी पत्नी घर के काम काज के मामले में बहुत ही आलसी है, कभी कभी मुझे उस पर बहुत ही गुस्सा आता है, मगर फिर भी मैं जानबूझ कर उसे कुछ नहीं कहता। मेरे ससुराल में शादी थी तो मुझे भी वहां जाना था। वहां पर बहुत से रिश्तेदार आये थे, वहां मेरी पत्नी ने अपनी एक रिश्तेदार से मिलाते हुए कहा- इसका नाम चांदनी हैं और हम इसको परीक्षा के बाद अपने पास ही रखेंगे।..
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