मैं एक बार फिर हाज़िर हूं आपकी सेवा में अपनी कहानी ले कर ! उम्मीद है कि आपको मज़ा आएगा। अगर कोई सुझाव हो तो वो अवश्य दें। यार लड़कियाँ क्यों इतना शरमाती हैं मेल करने में?
कहानी पढ़ने में तो मज़ा आता होगा। बहुत सी तो अपनी चूत में कहानी पढ़ते-पढ़ते सचमुच में ऊँगली कर लेंगी लेकिन अगर कोई उन्हें अपना लण्ड देना चाहे तो वो इतने नखरे करेंगी कि उनका मन ही नहीं है चुदाई का ! मेरी आज की कहानी में भी कुछ इसी बात का ज़िक्र है। हाँ तो दोस्तो ! जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली कहानी में बताया कि मैंने अपनी गर्लफ़्रेन्ड और उसकी सहेली की चुदाई की और मज़े किए। उसके बाद तो बस मुझे बस चुदाई का नशा ही छा गया था। छुट्टी के बाद स्कूल में मैंने सुधा जो कि मेरी गर्लफ़्रेन्ड है उससे मिलने के लिए कहा तो उसने कहा कि करिश्मा (जो कि उसकी दोस्त है) से पूछ के बताएगी। उसने बताया कि करिश्मा की मम्मी अभी घर पे है और वो कही बाहर ही नहीं जाने वाले हैं, इसलिए जगह का इन्तजाम भी नहीं हो पा रहा है। करिश्मा का भी चुदाई का बहुत मूड था तो अब कमरे का इन्तजाम करने की सारी जिम्मेदारी मुझ पे आ पड़ी थी।…
Part: 3
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