पिंकी अपने कमरे में चली गई। मैं कुछ देर खड़ा रहा, फिर कुछ सोच कर पीछे पीछे पिंकी के कमरे में चला गया। सेक्स की आग जो पहले भाभी में जल रही थी वो अब मेरे अंदर धधकने लगी थी। पिंकी कमरे में नहीं थी। तभी बाथरूम से कुछ गुनगुनाने की आवाज आने लगी। मैं बाथरूम की तरफ गया तो देखा बाथरूम का दरवाजा खुला हुआ था और पिंकी अपने कपड़े बदल रही थी। इस खूबसूरत बदन को कपड़ों के अंदर तो बहुत बार देखा था पर आज नंगा देख कर अपने आप पर काबू करना मुश्किल हो रहा था। पिंकी पूरे कपड़े निकाल कर शावर के नीचे खड़ी हो गई। उसके नंगे जिस्म पर पानी की फुहार गिरने लगी। वो मेरी ओर पीठ कर के नहा रही थी। मेरा मन बार बार कर रहा था कि बाथरूम में जाकर उसे पीछे से अपनी बाहों में भर लूँ पर भैया-भाभी घर पर ही थे। अचानक पिंकी ने मुड़ कर देखा और मुझे वहाँ खड़ा देख हड़बड़ा गई और जल्दबाज़ी में तौलिया उठाने के चक्कर में वो फिसल गई और धम से फर्श पर गिर पड़ी। दर्द के मारे वो बिलबिलाने लगी। मैं एकदम से अंदर गया और पिंकी को अपनी गोद में उठा लिया। पिंकी के कूल्हे में दर्द था सो मेरे उठाने से उसे कुछ ज्यादा दर्द हुआ इसलिए वो दर्द के मारे मुझसे लिपट गई।..