दिव्या ….बस रात को तो मैं तुम्हारे ही सपने देखता रहा …. तुम्हारे जैसी कमसिन और जवान लड़की जिसे मिल जाये….उसकी तो किस्मत ही खुल जाये….” मेरी बात सुन कर वो और इठलाने लगी। “अब अन्दर भी चलो…. ” मुझे वो धक्का देते हुए बोली….”बोलो अब क्या इरादा है….!” “बस एक मीठा सा चुम्मा….” मैंने शरारत से कहा। “है हिम्मत तो ले लो….!” उसने हंस कर कहा।”ऐसे नहीं …. पहले अपनी आँखें बंद करो….फिर देखो मेरा कमाल….”उसने अपनी आँखें बन्द कर ली और अपना गोरा और चिकना चेहरा आगे कर दिया…. मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिये…. उसके कांपते होंठो का स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया। एकदम नरम होंठ….गुलाब की पंखुड़ियों की तरह ….। हम दोनों एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे….दोनों ही मदहोश होने लगे। कुछ देर बाद अलग हुए तो दोनों के चेहरे की रंगत बदली हुई थी। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। उसकी आंखों में भी गुलाबी डोरे खिंच चुके थे। दिव्या ने थोड़ा सा शर्माते हुए और फिर से आँखें बन्द करके कहा,”जो ….मेरी छातियों को पकड़ लो….हाय…. मसल डालो….” उसने अपनी छाती आगे को उभार दी, उसके तने हुए उरोज बाहर को उभर आये। मैंने उसकी चूंचियो पर अपना हाथ रख दिया। और हौले हौले से दबाने लगा। उसके मुख से सिसकारी निकलने लगी। वो भी मेरे हाथों पर ज्यादा दबाने के लिये और दबाव डालने लगी। मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर एक हाथ से उसके उभारों को मसलना शुरू कर दिया और अब मेरी कमर वाला हाथ चूतड़ों के ऊपर आ कर थम गया। मेरे हाथ उसके बोबे और चूतड़ दबा रहे थे और दिव्या अपने जिस्म को मेरे जिस्म से बल खा कर रगड़ रही थी। उसके मुँह से आह….हाय….मां री…. जैसी सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने उसे दीवार से सटा कर उसकी चूत को पकड़ कर दबा दी। वो चिहुंक उठी….
October 5th, 2011 at 7:11 am
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November 6th, 2011 at 4:16 pm
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