शादी के एक साल के अन्दर ही लक्ष्मी को लड़का हुआ तो डेढ़ महीने बाद उत्सव रखा गया था। लक्ष्मी का मेरे पास फोन आया- तुम्हें भी आना है। मैंने कहा- मैं नहीं आऊँगा। बोली- लड़के का पापा ही नहीं आयेगा तो फिर फायदा क्या? मैंने उसे समझाया- मेरा आना ठीक नहीं है क्योंकि मुझे उसके घर वाले पहचानते थे और मैंने बाद में आने को बोला। उत्सव के एक महीने बाद मैं उसकी ससुराल पहुँचा। मैंने पहले ही लक्ष्मी से पूछ लिया था कि घर में कौन-कौन है। उसने बताया था कि वो खुद और उसकी ननद है बस ! बाकी सब लोग कहीं शादी में गये हैं। मैंने दरवाजा खटखटाया। थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला तो मैं देखता ही रह गया। मेरे सामने एक 18-19 साल की लड़की लाल टॉप और जींस पहने खड़ी थी जिसकी आँखें बिल्कुल ऐश राय की तरह, होंट बिल्कुल लाल, रंग साफ, चूचियाँ एकदम सीधी खड़ी थी। मैं उसे ऊपर से नीचे तक देख रहा था, वो बोली- जी आप कौन? मैं कुछ बोलता, उतने में लक्ष्मी आ गई- अरे राज तुम? यहाँ कैसे? मैं बोला- यहाँ से निकल रहा था, सोचा मिलता चलूँ।……