Kiraye Ka Ghar 2

Posted Mar 03rd, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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मैं शाम को सोनल का इन्तज़ार करता रहा। सात बजने पर मैंने अपनी पेन्ट कमीज़ उतार कर पज़ामा और बनियान पहन ली। मुझे लगा कि अब वो नहीं आयेगी। तभी नीचे गाड़ी स्टार्ट होने की आवाज़ सुनाई दी। मैंने झांक कर देखा तो सोनल के पापा गैराज़ से गाड़ी निकल कर सड़क पर ले आए थे और शायद तनूजा और सोनल की प्रतीक्षा कर रहे थे, शायद कहीं जा रहे थे। मेरा मन उदास हो उठा। इतने में मेरा मोबाईल बज उठा। सोनल का फोन था। सोनल के कुछ बोलने से पहले ही मैं बोल पड़ा- कहाँ हो जानम ! कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ तुम्हारा ! कहीं जा रहे हो तुम लोग? ” मैं नहीं, मम्मी और पापा जा रहे हैं, उनके जाते ही मैं ऊपर आती हूँ….!” मैं खुश हो उठा। मेरे मन तार बज उठे…. सोनल जैसी कमसिन…. कुंवारी लड़की के साथ मजे करने के ख्याल से ही मेरे लण्ड में उफ़ान आने लगा। मैंने अंडरवियर पहले ही नहीं पहन रखी थी। लण्ड का कड़ापन पजामे में से साफ़ उभरने लगा था। इतने में किसी के ऊपर आने की आवाज आई…. तो देखा तनूजा थी।तनूजा को देखते ही मैंने फ़ोन बंद कर दिया। “हम लोग थोड़ी देर के लिए जा रहे हैं इनके दोस्त के घर और थोड़ी शॉपिंग भी करनी है बाज़ार से ! …. तुम घर का ख्याल रखना…. !” अचानक उसकी नजर मेरे लण्ड पर पड़ी….”अरे वाह ! मुझे देखते ही ये तो खड़ा हो गया….!” उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले कर मसल दिया। मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी।..

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niceeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeee
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very niceeeeeeeeeeeeeeee
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