जवानी की मस्ती मैं जी भर के लूटना चाहती हूं, लगता है कि बस रोज रात को कोई मुझे दबा कर चोद जाये … जानते है जीवन में जवानी एक ही बार आती है … फिर आ कर ना जाने वाला बुढ़ापा आ जाता है … जी तरसता रह ही जाता है … मैंने आज अब्दुल को शाम को जान करके बुलाया था। उसे यह पता था कि बानो ने बुलाया है तो जरूर कुछ ना कुछ मजा आयेगा। कुछ नहीं तो चूंचे तो दबवायेगी ही। अब्दुल सही समय पर शाम को अपनी छत पर आ गया था और बेसब्री से मेरा इन्तज़ार कर रहा था। मैंने भी मौका देखा और छत पर आ गई। “बोल क्या है बानो, क्यूं बुलाया मुझे?” “बड़ा भाव खा रहा है रे भेनचोद ? बुला लिया तो क्या हो गया ?”चूतिया बात मत कर, बता क्या बात है?” पहले मेरे चूंचे तो दबा, फिर बताती हूं !” मैंने उसे धक्का देते हुये कहा। “भोसड़ी की, नीचे आग लग रही क्या ?” सच बताऊँ क्या … लग तो रही है … पर तेरे नाम की आग नहीं है !” मैंने साफ़ कहना ही ठीक समझा।..