बस मैं समझ गया कि मेरी प्रेम तपस्या आज वरदान बन के बरसने वाली है। यह तो हरी झंडी है अपनी प्यास बुझाने की। कोमल की आँखों में वासना और आमंत्रण दोनों स्पष्ट झलक रहा था। और मैंने बिना देर किये उसे खींच कर सीने से लगा लिया। उसकी सांसें तेज हो गईं। मेरा भी यही हाल था। मेरे लंड ने खड़े होकर उसकी चूत का अभिवादन किया और उसकी चूत की पंखुड़ियों ने फड़क कर उसे स्वीकार किया। मैंने उसके होठ अपने मुँह में ले लिए और जोर जोर से चूसने लगा। वो भी मेरा साथ देने लगी। क्या नर्म होंठ थे ! गजब का एहसास था ! दोनों पर नशा छाने लगा था ! मेरे हाथ उसके वक्ष पर चले गए। वो कसमसा गई। कसे हुए 34-35 आकार के स्तन।..
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