दोस्तो, बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं और चूत या मुठ मारकर पानी निकला है। आज मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ, आशा करता हूँ कि गुरूजी की कृपा से प्रकाशित हो जाएगी तो आप सब भी मेरी सेक्स कथा के साथी बन जायेंगे। बात उन दिनों की है जब मैं अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब की तलाश में दिल्ली की तरफ निकला। मेरे एक चचेरे भाई गाजियाबाद में रहते हैं, जिनके पास मुझे कुछ दिनों तक रहना था। वो बहुत ही शरीफ और ईमानदार आदमी हैं। उनकी पत्नी उतनी ही तेज़ और सेक्सी है। एक दिन जब भैया अपने काम के सिलसिले में बाहर गए थे, तब घर पर केवल मैं और भाभी ही बचे थे। भाभी एक तो हैं ही बला क़ी खूबसूरत ! उस दिन काली साड़ी में और भी मस्त लग रही थी, उनके मस्त गोरे स्तन ब्लाउज़ से बाहर कूदने को तैयार थे। मैं कामुक प्रवृति का आदमी हूँ पर शुरू में खुल नहीं पाता, इसलिए भाभी को चोर निगाहों से ही देखता था। मैंने मज़ाक में गाना शुरू किया- काले लिबास में बदन गोरा यूँ लगे ईमान से, जैसे हीरा निकल रहा हो कोयले की खान से !..
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