मैं परम आदरणीय गुरुजी का शुक्रगुजार हूँ जिन्होंने मेरी आत्मकथा के अंश “हवाई जहाज में चुदाई” को अपनी जग प्रसिद्ध वेबसाईट में जगह दी। फिर मैं अपने प्रिय पाठकों का भी बहुत शुक्रगुजार हूँ कि आप सभी ने मुझे बेहद सराहा। मुझे सैंकड़ों प्रशंसकों के ईमेल प्राप्त हुए, बदले में मैंने भी उन्हें निजी तौर पर जवाब लिखकर धन्यवाद देने की ईमानदारी से कोशिश की है। मुझसे अधिकांश पाठकों ने जिज्ञासापूर्वक जानने की कोशिश की कि यह मनघड़ंत कहानी थी या एक सच्चाई। मेरे प्रिय पाठक मित्रो, मैं आपके सामने एक बार फिर दोहरा दूँ कि मैंने जो कुछ भी लिखा वह पूर्ण सत्य है जो वाकयी मेरे साथ इस्तान्बुल जाते समय घटित हुआ था, वे मेरी जिंदगी के कभी ना भुलाने वाले हसीन और यादगार पल थे।..
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