बाहर से तो घर छोटा सा था लेकिन अंदर से बहुत बड़ा था, नीचे 5 और ऊपर 6 बड़े बड़े कमरे थे। मैं पूछ बैठा- किराए पर मकन देतीं हैं क्या? बोली- हाँ ! किराये पर रहता है। ऊपर सब किरायेदार हैं, उनका रास्ता अलग से है। क्या शानदार घर था ! यहाँ आकर हम लोगों ने नहा-धोकर खाना खाकर आराम किया। रात को उसने कामवाली को बता दिया था समय पर आ गई और खाना बना कर चली गई। हम लोग खान खाकर वहाँ से रिक्शा लेकर घाट की तरफ गए, घाट का नाम याद नहीं है, देखा- क्या जानदार जगह है ! लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि सारे घाट जाने के रस्ते गली से ही हैं और वहां आप पैदल ही जा सकते हैं। रात हो रही थी, आरती देख कर हम लोग वापस आ गये। घर पहुँच कर उसने कहा- एक बात पूछनी है। मैं बोला- क्या? वो बोली- क्या तुम ग्रुप में सर्विस दोगे? मैं बोला- क्या मतलब? वह बोली- मेरी सहेली यहाँ रहती है और वो भी मजा लेना चाह रही है ! अगर तुम तैयार हो तो बताओ ! पैसा मिल जायेगा। मैं बोला- लेकिन मेरी पहचान गुप्त रहेगी? बोली- उसकी गारेंटी !….
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