मेरे पड़ोस में एक आंटी रहती थीं, जिनका नाम जानकी था. उनकी उमर २७-२८ साल और फिगर ३६-२८-३६ था. उनको देखकर हमेशा मेरा लंड खड़ा हो जाता था और उनकी चूत में जाने के लिए फड़कने लगता था. एक दिन उनकी ६ साल की लड़की पार्क में खेलते खेलते गिर गयी. मैंने उसे उठाया और उनके घर ले गया. वो बहुत रो रही थी. आंटी ने उसे चुप कराया, दवा लगाई और थपकी देकर सुला दिया. मैं चुप चाप खड़ा आंटी के मम्मे और गदराई गांड देख रहा था. लड़की के सोते ही आंटी मेरी तरफ़ मुखातिब होकर बोली ”तुम इसे नहीं लाते तो बेचारी वहीँ रोती रहती।” मैंने कहा,”आंटी, क्यूँ नहीं लाता?” आंटी मुस्कुराई और बोली, “बैठो, तुम्हे चाय पिलाती हूँ।” पता नहीं मेरे अन्दर कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई कि मैं बोला “पिलाना है तो दूध पिलाओ।”..
You must be logged in to post a comment.