मेरे पुरखे काफ़ी सम्पत्ति छोड़ गये थे। मेरे पिता की मृत्यु छः-सात साल पहले हो चुकी थी। मेरी मम्मी और उनके मैनेजर ही सारा व्यापार सम्भालते थे। मेरा फ़ार्म-हाऊस घर से बीस बाईस किलोमीटर की दूरी पर था। उसे मैं ही सम्भालता था। फ़ार्म-हाऊस क्या था मेरी ऐशगाह था। मैं दोस्तों के साथ वहाँ पार्टियां करता था। मम्मी उस तरफ़ नहीं आती थी। मैं कॉलेज पढ़ता था … और कैसे ना कैसे मैं पास हो ही जाता था। मेरी मम्मी का घर में एक अलग ही भाग था, जहाँ पर वो अपने खास सहयोगियों के साथ काम किया करती थी। मुझे एक दिन कॉलेज जाने से पहले मम्मी से काम पड़ा तो मैं सीधे ही उनकी तरफ़ के हिस्से में चला आया। मुझे लगा अभी वहाँ कोई नहीं है। पर मुझे कहीं से एक हंसी की आवाज सुनाई दे गई।..