Ekakipan Me Khushi

Posted Jan 21st, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
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आज मैं आपको अपनी बड़ी बहन की सत्य कथा लिख के भेज रहा हूँ। यह कथा है एक उदासीन जीवन गुजार रही एक नवयौवना की, जिसने अपने बचपन से यौवन तक इतना ज्यादा एकाकीपन झेला था कि उससे निपटने का रास्ता उसने खुद ही ढूँढ लिया। अब आप लोग ही बताना कि यह सही था या गलत? मेरा नाम अशोक है, मुंबई में रहता हूँ, उम्र 21 साल है। मेरे घर में कुल चार लोग हैं- मैं, मेरे माता पिता और मेरी बड़ी बहन। माता-पिता दोनों ही एक बहुराष्ट्रीय कम्पनी में अच्छे पद पर हैं। मेरे घर में पैसे की कोई कमी नहीं है। नौकर-चाकर, गाड़ी और शानो-शौकत की हर चीज़ हमारे घर में है। मेरे माता पिता हम दोनों भाई-बहन को समय नहीं दे पाते थे। इसलिए मुझे बचपन में ही बोर्डिंग में पढ़ने भेज दिया गया था। जबकि मेरी बड़ी बहन रश्मि मुंबई में रह कर ही पढ़ी है। दीदी की उम्र 25 साल है। वो हमेशा से ही अन्तर्मुखी रहने वाली और बहुत ही फेशनेबल है। उसके कोई खास सहेली या दोस्त नहीं थे और यह बात मुझे उसमें अजीब लगती थी।..

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