हम लोग पौने चार बजे हरिद्वार पहुँच गये। कमल के पापा ने मुझे अवाज़ लगाई- जय बेटे, अब बताओ कि पहले किस जगह पर चलें? मैंने कहा- अंकल जी, पहले हर की पैड़ी पर चलते हैं। पहले नहाते हैं, फिर मनसा देवी पर चढ़ाई करेंगें। उन्होंने कहा- ठीक है। और हम लोग पर्किग की तरफ जैसे ही चले, तभी मैंने देखा कि सुनील सामने बाईक लेकर के खड़ा हुआ है। मैंने ड्राइवर से गाड़ी रोकने को कहा, मैं सुनील से मिलने के लिये गाड़ी से बाहर आया, सुनील ने मुझे देखते ही मुझे बाँहो में भर लिया और हम दोनों आपस में बात करने लगे। कमल मेरे पास आया और मैंने उसका सुनील से परिचय कराया।..
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