दोस्तों सभी ने मेरी एक-एक कहानी पसन्द की और मुझे अपनी गाँड मरवाने की दास्ताँ जो मेरी चुदाई की दास्ताँ और मेरी की हुई मेहनत पर पानी नहीं फिरने देते। ट्रेन में मैंने दो फौजियों के साथ ख़ूब मस्ती की। उन्होंने मुझे अपना नम्बर तक दे डाला लेकिन मैंने उनसे मिलना ज़रूरी नहीं समझा क्योंकि मैं सफर में बने सम्बन्ध को वहीं छोड़ देता हूँ। दोस्तों एक बार मैं कॉलेज के लिए बस पकड़ने के लिए खड़ा था। इन्तज़ार था किसी खचाखच भरी बस का। तभी एक मिनी बस आई, मैं चढ़ गया और मेरी निगाहें किसी ऐसे मर्द को तलाश कर रहीं थीं जिसे देख मैं समझ लूँ कि कहीं वो मेरी हरक़त पर बवाल तो नहीं मचा देगा।..