पर फिर मैंने तर्क दिया कि जब इतना कुछ हो गया है, आपने मेरा सामान भी हाथ में ले लिया तो गुरु-शिष्य वाली बात तो कब से ख़त्म हो गई, और इसमें बुरा क्या है? कुछ देर सोचने के बाद मैडम ने मुझे चूमना शुरू कर दिया… थोड़ी देर बाद मेरे और मैडम के तन पर कपड़े नहीं थे, मैं मैडम के बड़े बड़े दोनों स्तनों को बारी बारी चूस रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैडम मेरे सर पर हाथ फेरते हुए लाड कर रही थी…. फिर मैंने नंगी मैडम के जिस्म को दबोच लिया। वो कराहने लगी। मैंने अपने होठों को उनके रसीले होठों पर रख दिया और जी भर के उसका रस पान करने लगा। एक हाथ से चूचियों को दबाता, मसलता रहा, दूसरे हाथ से उनके जिस्म को पूरा कस के अपने जिस्म से चिपकाया। हम दोनों हाथ-पाँव मारने लगे। इस बीच उनके मुंह में जीभ डाल कर मैंने उसे बुरी तरह चूमा। उनके मुँह से आह्ह्ह उफ़…. मैं तुम्हारी मैडम हूँ .. यह ग़लत है .. छोड़ दो मुझे ..जग गगग ..की आवाज निकलने लगी, पर मैं पूरी तरह से उनकी भरी भरी चूचियों को दबाता रहा उनके चुचूकों को उंगलियों के बीच लेकर मसलने लगा। मैडम अब सिसकारियाँ भरने लगी- नहीं .. प्लिज्ज़ ..उईई ईई …. धीरे .आदि ऊउऊ .. लेकिन अब सब कुछ सामान्य हो गया था। हम दोनों की सांसें तेज होने लगी। मैंने जम कर मैडम के पूरे बदन को बेतहाशा चूमा .. मेरे होंठ उसके बदन पर फिसलने लगे .. एकदम गोरा और चिकना बदन था। वो दोनों जांघों को सिकोड़े हुए थी.. मेरे हाथ और होंठों के स्पर्श से वो अजीब सी आवाजें निकालने लगी थी।…..
Part: 2