सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को समझा और आप लोगों तक प्रकाशित किया। और उन फड़कती हुई चूतों को भी मेरा सलाम जो हमेशा किसी लण्ड की तलाश में रहती हैं। चूतें हमेशा चुदने के लिए ही होती हैं। पहली घटना के एक महीने बाद मैं फिर से आशा भाभी के शहर में चला गया। मैंने वहां होटल में कमरा लिया और पॉँच दिन तक रुका। मैंने आशा को फ़ोन कर कमरे पे शाम को बुला लिया. वो मेरी पसंद की काली साड़ी में शाम को पाँच बजे वहां आ गई। उसके आते ही मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मैंने उसे बाहों में भर लिया और चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसे उठाया और बेड पे लिटा दिया। मैंने उसके होंठों को जी भरके चूसा। फिर मैंने उसकी काली साड़ी को निकाल फेंका। फिर मैं उसके स्तनों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही मसलने लगा। वो भी मुझे कस के बाहों में लिए हुए थी और बहुत ही खुश थी क्योंकि मेरी पहली चुदाई से ही वो गर्भवती हुई थी। जिन्दगी में उसे मेरी वजह से पहली बार माँ का सुख मिल रहा था। मैंने उसके ब्लाऊज़ और पेटीकोट को उतार दिया। अब वो ब्रा और पेंटी में थी और बड़ी ही सेक्सी लग रही थी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसे चूमने लगा। एक हाथ से मैं उसके छोटे-२ स्तन सहला रहा था। मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाला तो वो गीली हो चुकी थी। उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था। मैं उसकी चूत में ऊँगली घुमाने लगा।..
Part: 2
March 8th, 2011 at 4:46 pm
Please Suniaji, try to read the story in a relaxed, funny and sexy mood and not like a newsreader. You also make mistakes in speaking the correct words like you speak 'Chut' instead of 'Choot' and 'Lun' instead of 'Lund' if you will improve your reading style your site will be wonderfull.
March 8th, 2011 at 4:50 pm
Suniaji, aap jhijhakte hue sexy words bolti hain, khulkar boliye jaise Chodna, Choot aur Lund…. isse aapki reading style me sex paida hoga aur sunne walon ko maza aayega.
January 28th, 2012 at 6:31 am
A dose of topic, no?
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