Angoor Ka Dana 4

Posted Jan 19th, 2011 by Sunia Sharma in Audio, Blog, Main
Please sign in or create a free account to download this audio file

“आईईइइ … सीईईई ?’ “क्या हुआ ?“उईईईइ अम्माआ …… ये मिर्ची तो बहुत त… ती….. तीखी है ..“ओह … तुम भी निरी पागल हो भला कोई ऐसे पूरी मिर्ची खाता है ?” “ओह… मुझे क्या पता था यह इतनी कड़वी होगी मैंने तो आपको देखकर खा ली थी? आईइइ… सीईई ..“चलो अब वाश-बेसिन पर … जल्दी से ठन्डे पानी से कुल्ली कर लो !” मैंने उसे बाजू से पकड़ कर उठाया और इस तरह अपने आप से चिपकाए हुए वाशबेसिन की ओर ले गया कि उसका कमसिन बदन मेरे साथ चिपक ही गया। मैं अपना बायाँ हाथ उसकी बगल में करते हुए उसके उरोजों तक ले आया। वो तो यही समझती रही होगी कि मैं उसके मुँह की जलन से बहुत परेशान और व्यथित हो गया हूँ। उसे भला मेरी मनसा का क्या भान हुआ होगा। गोल गोल कठोर चूचों के स्पर्श से मेरी अंगुलियाँ तो धन्य ही हो गई।..

Comments

Loading... Logging you in...
  • Logged in as
Login or signup now to comment.
There are no comments posted yet. Be the first one!

Comments by