मेरा नाम धीरज है। मैं आपको जो कहानी सुनाने जा रहा हूँ, यह तब की बात है जब मैं कालेज में पहले सेमस्टर में पढ़ता था। मेरे कोलोनी में ही मेरा एक दोस्त अमित(बदला हुआ नाम) रहता था जो मेरे साथ ही कालेज में था, वो कमरा किराए पर लेकर रहता था। सो मैं उसके यहाँ स्टडी या ऐसे ही कभी कभी मिलने चला जाता था। उसके साथ उसकी एक दीदी रीना और उनकी एक सहेली स्नेहा भी रहती थी। वो दोनों आई आई टी कर रही थी। वे लोग एक ही कमरे में रहते थे। एक बार जब मैं उससे मिलने उसके कमरे पर गया तो मैंने देखा कि स्नेहा वहाँ अकेली थी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि रीना ओर अमित बाज़ार गये हैं। फ़िर मैं जाने को हुआ तो स्नेहा ने मुझे ये कह कर रोक लिया कि वो लोग बस आते ही होंगे। सो मैं वहीं रुक गया।