मैं अपना परिचय करा दूँ आप लोगों को ! मैं 25 वर्ष का हूँ, मेरी शादी को 5 वर्ष हो गए हैं। मैं महोबा का रहने वाला हूँ। यह बात उन दिनों की है जब मैं 23 वर्ष का था। एक बार मेरी पत्नी के मामा जी के पैर का ओपरेशन हुआ क्योंकि उनके पैर में पानी आ गया था। मामाजी को झाँसी में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। देखाभाल के लिय नाना-नानी साथ में चले गए। घर में मामी अकेली रह गई। सो उन्होंने मुझे फोन किया और कहा- मैं घर में अकेली हूँ, मोहिनी को मेरे पास भेज दें तो अच्छा होगा ! मैंने उनसे हाँ कह दिया। मेरे घर से मामा जी का घर दो किलोमीटर दूर है। मैंने अपनी मम्मी से आज्ञा ली और मोहिनी (मोहिनी मेरी पत्नी का नाम है) को लेकर उनके घर पहुँच गया। मामी जी ने हमारा बड़ा सम्मान किया। मैंने कहा- मामी, अब मै जाने की इजाजत चाहूँगा ! मामी बोली- अभी नही जाने दूँगी ! सुबह जाना ! मैंने बहुत कहा पर वो नहीं मानी तो मैं रुक गया। रात को हमने डिनर किया उसके बाद मामी मामा की तबीयत के बारे में बताने लगी। काफी देर हो गई और हम सो गए। सुबह मेरी ससुराल से फोन आया कि मेरे साले के बेटे का कूप-पूजन है अतः मोहिनी को आज ही भेज दें। मैंने मोहिनी को बताया तो वो बोली- आप यहाँ रुक जाइये, मैं चली जाती हूँ।..
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