नाम नीना है, उम्र उन्नीस साल, गोरा रंग, कसा हुआ बदन, गोल गोल वक्ष, पतली कमर ! वैसे तो मैं छोटी ही थी जब मैंने अपनी चूत का चीरहरण करवा डाला था। उसके बाद कई लड़कों ने मुझे चोदा- स्कूल में, स्कूल जाते रास्ते में पड़ने वाले बाग़ में, जहाँ मेरे आशिक मेरी इन्तज़ार करते और छुट्टी के बाद उन बागों में रासलीला रचाई। उसके बाद मुझे वो स्कूल छोड़ना पड़ा क्यूंकि वो दसवीं तक था। माँ ने मुझे शहर मामा जी के घर भेज दिया। एक तो मामी के बच्चा होने वाला था दूसरा स्कूल घर की बग़ल में था बस यही बात ठीक नहीं थी। ऊपर से रात को जब मामा मामी मजे लेते तो मैं छुप कर देखती। मामी मुँह में लेकर, मुठ मारकर मामा का पानी निकालती। यह देख मेरी चूत गीली हो जाती, सोचती कि मामा को ही पटा लूँ ! लोहा गर्म तो था ही, चोट मारनी रह गई थी..।
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