मैं अपने कॉलेज में होने वाले टेस्ट की तैयारी कर रही थी। तभी अब्दुल का फोन आया,”बानो, क्या कर रही है ? जल्दी से ऊपर आजा… एक काम है !” “अभी आती हूँ… ” मैंने मोबाईल पजामें में रखा और कमरे से बाहर निकली। “मां की लौड़ी, कहा जा रही है? पढ़ना नहीं है क्या… ” अब्बू ने हांक लगाई। “अब्बू, अब्दुल भैया ने बुलाया है… अभी आई !” कह कर मैं सीढ़ियों की तरफ़ भाग चली। “चुदवाने जा रही है भेन की लौड़ी … ।” रास्ते में मौसा जी ने टोका। “मादरचोद, टोक दिया ना… साला रोज़ तो चोदता है और फिर भी लार टपकाता है… ” “अरे, बुला रिया है तो मर… भोसड़ी की मेरा ही लौड़ा चाटती है और मुझे ही गाली देती है !” मां के लौड़े, आगे और नहीं चोदना है क्या ? चल रास्ता ले… गांडू साला !” मैंने उसे प्यार से दुलारा और छलांगे भरती हुई छत पर आ गई। अब्दुल अपनी छत पर खड़ा था। उसने ऊपर आने का इशारा किया। मैं दीवार फ़ांद कर उसकी ऊपर की छत पर आ गई। सामने वही कमरा था जहा अब्दुल या युसुफ़ मेरे साथ मस्ती करते थे।..
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