मेरी पहली दोनों कहानियाँ मामी की प्यास और पड़ोसन विधवा भाभी को आप लोगों ने सराहा उसके लिए धन्यवाद ! मैं संजय शर्मा फिर हाजिर हूँ आपकी सेवा में एक नई सत्य कथा लेकर !
यह बात सन 1993 की है जब मेरी शादी हुए सिर्फ दो वर्ष ही हुए थे। हमारे एक बेटी हुई वो सिर्फ ढाई महीने की थी। हमारी रिश्तेदारी में एक बुआ मुंबई में रहती है उनके बड़े लड़के की शादी जनवरी के महीने में थी। घर से कोई भी जाने को तैयार नहीं था। पापा को कुछ काम था, मम्मी घर से फ्री नहीं थी छोटा भाई ज्यादा कहीं आता-जाता नहीं था, तो ड्यूटी लगी मेरी कि तुम्हें मुंबई जाना है। टिकट बुक कराने जाने लगा तो पापा बोले- अरे सुन, अपने साथ अपनी सुनीता बुआ और उसके बच्चों की भी टिकट मथुरा से मुंबई तक की जाने और वापसी की भी करवा लेना !..
You must be logged in to post a comment.