सबसे पहले गुरुजी को मेरी तरफ से बहुत-बहुत धन्यवाद, जिन्होंने मेरी चुदाई सबके सामने रखी। उसके बाद सभी पाठकों को भी मेरी तरफ से प्रणाम ! मुझे बहुत प्यार मिला। जैसे कि मैंने बताया था कि किस तरह से मैंने अपने संगीत के शिक्षक से म्यूज़िक हॉल में चुदाई का मज़ा लिया था और उसके बाद किस तरह हम दोनों को रंगरलियां मनाते हुए स्कूल के ही पी.टी सर ने देख लिया। मैं उनके सामने नंगी खड़ी थी और संगीत वाले सर वहाँ से चले गये मानो यह सब पहले से ही तय की हुई योजना थी। मैंने जैसे ही अपने कपड़े उठाने की कोशिश की, सर बोले- रहने दो ना ! मुझे मज़ा नहीं लेने दोगी? मैं बोली- सर, मुझे जाने दो ! वो बोले- चली जाना जान ! लेकिन मेरे खड़े लंड का क्या करूं? एक बार देखो ! इस लंड की तरफ देखो तो ! मैंने उनके लंड को देखा- करीब 9 इंच लंबा लंड देख मेरी चूत में कुछ होने लगा। मैं उसी पल घुटनों के बल बैठ गई और उनके लंड को सहलाने लगी। हाय सर कितना मोटा है आपका ! देखा ना रानी ! बहुत मज़ा देगा तुझे यह लंड ! मैंने लंड को मुँह में भर लिया और लॉलिपोप की तरह उसको चूसने लगी। सर उत्तेजना में बोलने लगे,”वाह…मेरी रानी वाह ! तेरे बारे में लड़कों से जो सुना है वो सच में सही है ! चूस मेरी रानी चूस ! अपने सर का मोटा लंड चूस “..
Part: 2
March 7th, 2011 at 2:30 pm
yar jis tra kisi hasi ke joke ko kisi serious bande se sunne pr hasi nhi aati usi tra,apki kahani to acchi hoti hai pr pta nhi q maja hi nhi aata plz yar thode sexy andaz me kahani sunaya kro…..
March 23rd, 2011 at 10:26 am
please continue
March 23rd, 2011 at 10:40 am
thanks p.t. sir