कैसे है आप सब इस बार फ़िर से हर बार की तरह बहुत सारे मेल मिले और मै आप सबका एक बार फ़िर से धन्यवाद अदा करता हूं कि आप लोग मुझे इतने सारे मेल करते है और मेरी कहानियों को पसंद भी करते है। वेल, अब मै अपनी कहानी शुरु करता हूं जहां पर अधूरी रह गयी थी बरसात की रात पार्ट १ में आप सबने पढ़ा ही होगा कि किस तरह से मेरी अजनबी आंटी से मुलाकात होती है और जिन्होने नहीं पढ़ा वो प्लीज़ पार्ट १ पढ़े फ़िर यहां से शुरु करें तो उस दिन रात को मुझे सोया हुआ जानकर आंटी ने मेरा लंड मुंह में भर लिया और फ़िर मेरी आंख खुल गयी और उसके बाद हम लोग सारी लाज हया त्याग कर चुदायी करने में जुट गये आंटी तो पहले से ही नंगी थी और मैं सिर्फ़ लुंगी ही लपेटे हुए था जिसे आंटी ने सरका कर मेरा लंड बाहर निकाल कर होंठों में भरा था अब वो भी मैने उतार दी थी और पूरी तरह से मैं भी नंगा हो चुका था और आंटी मेरे फ़नफ़नाये लंड को बड़ी मोहब्बत से देख रही थी और किसी लालची बिल्ली की तरह जबान होंठों पर फ़िरा रही थी मैं वहीं सोफ़े पर बैठ गया और आंटी से कहा अब जब शरम का परदा हट ही गया है तब पूरी तरह से बेशरम होकर जवानी के मज़े लूट लो आप भी तब आंटी ने कहा साले मादरचोद वही तो तुझे समझा रही हूं इतनी देर से मगर तू है कि लंड क्या लोहे बना हुआ इतनी देर से आखिर अब आया न औकात पर चल जल्दी से मेरे मुंह में लंड डाल कर धक्के लगा और मुझे अपने रस का पान करने दे और इतना कह कर वो मेरे लंड को चूसने के लिये जैसे ही झुकी मैने उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को बेदर्दी से मसलते हुए कहा अरे रंडी ऐसी भी क्या जल्दी है लंड चूसने की ज़रा मुझे भी तो गरमाने दो न मगर वो ज़बरदस्ती मेरा लंड पकड़ कर अपने मुंह में रख कर चूसने लगी और थोड़ी ही देर में मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया और उनकी चूत को सलामी देने लगा तब वो अपनी चूत फ़ैला कर आयी और मेरे मुंह के पास करती बोली लो मेरे चोदु अब जरा इसे भी चाट कर तुम भी मेरे रस का मज़ा लो मैं उनकी झांटों भरी चूत को सहलाने लगा फ़िर बोला साली यहां तो पूरा जंगल उगा रखा है क्या चाटुं? चूत तो ढूंढे से नहीं मिल रही है यहां? तब वो अपने झांट के बालों को अपने दोनो हाथ से अलग कर के अपनी चूत देखा कर बोली राजा आज तो काम चला लो कल साफ़ कर लूंगी प्लीज़..
Part: 2
March 23rd, 2011 at 6:33 pm
very good