तुम श्लील कहो, अश्लील कहो चाहो तो खुलकर गाली दो ! तुम भले मुझे कवि मत मानो मत वाह-वाह की ताली दो ! पर मैं तो अपने मालिक से …हर बार यही वर माँगूँगा- तुम गोरी दो य काली दो भगवान मुझे इक साली दो ! सीधी दो, नखरों वाली द साधारण या कि निराली दो, चाहे बबूल की टहनी दो चाहे चंपा की डाली दो। पर मुझे जन्म देने वाले यह माँग नहीं ठुकरा देना- असली दो, चाहे जाली दो भगवान मुझे एक साली दो। वह यौवन भी क्या यौवन है जिसमें मुख पर लाली न हुई, अलकें घूँघरवाली न हुईं..
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