मैं गांव छोड़ कर कॉलेज की पढ़ाई करने के लिये शहर आ गया था। यहाँ शहर में मैं अपने चाचा के साथ रहता था। उन्होंने मुझे बाहर सड़क की तरफ़ खुलता हुआ एक कमरा दे दिया था। मेरी पढ़ाई यहाँ पर अच्छी चल रही थी। घर के सामने ही एक पब्लिक पार्क भी था। मैं अक्सर शाम को उसी पार्क में जाकर बैठ जाता था और मूंगफ़ली,चने आदि चबाता रहता था। इन्हीं दिनों मुझे उसी पार्क में मेरी की क्लास का एक सहपाठी विनोद मिल गया। वो बहुत ही हंसमुख और खुले विचारों वाला लड़का था। वो मुझे बहुत ही पसन्द था। हमारा मिलना लगभग रोज ही होता था। उसके हाथ में अक्सर कोई मेगज़ीन हुआ करती थी, वो उसे बहुत सम्हाल कर रखता था। मैंने आखिर एक दिन विनोद से पूछ ही लिया कि वो मगज़ीन क्या है। पहले तो वह टाल-मटोल करता रहा पर एक दिन उसने वो मगज़ीन मुझे थमा ही दी,”ले देख ले, तेरे काम की नहीं है।” मैंने ज्योंही उसे खोल कर देखा, उसके कुछ लड़कों की नंगी तस्वीरें मुझे नजर आई। उन लड़कों के बड़े-बड़े लण्ड साफ़ दिख रहे थे। आगे के एक पेज में तो एक लड़का अपना लण्ड दूसरे लड़के की गाण्ड में घुसाये हुये था। मेरे शरीर में जैसे चींटियाँ सी रेंगने लगी।….
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