यह जिंदगी भी जाने क्या क्या रंग दिखाती है। इंसान कठपुतली की तरह नाचता है जिंदगी के इशारे पर। मैं तब 22 साल का था जब मैंने पढ़ाई करते करते इश्क की पढ़ाई करनी शुरू कर दी थी। मेरी भाभी की बहन यानि मेरे भाई की छोटी साली थी वो, पिंकी नाम था उसका, उम्र बीस साल ! एक दम मस्त लड़की थी, हरदम हँसती रहती, मजाक करती रहती। भाभी गांव की थी। गांव में दसवीं तक का स्कूल था सो पिंकी आगे की पढ़ाई के लिए शहर आ गई थी। 12वीं में पढ़ती थी। पढ़ाई में भी बहुत होशियार थी। हमारे पास रहकर शहर के रहन सहन में ढलते पिंकी ने देर नहीं लगाई। शहरी पहनावा उस पर खूब फबता था। उसके बदन की क्या तारीफ़ करूँ, अजंता की मूर्त थी। 32 इन्च की चूचियाँ, पतली 26 इन्च की कमर, 34 इन्च के मस्त कूल्हे। मैं तो बस आहें भरता था उसे देख देख कर। मेरे दिल में उसके लिए सिर्फ प्यार था सेक्स के बारे में तो कभी सोचा भी नहीं था। मैं धीरे-धीरे पिंकी से खुलता गया और मैंने दिल की बात पिंकी को बताना शुरू कर दिया था पर खुल कर अभी आई लव यू नहीं बोला था। उस दिन मैं बारह बजे के करीब घर आया तो घर में भाभी के सिवाय कोई नहीं था। मैं भाभी से खाने का कह कर अपने कमरे में चला गया और कपड़े बदलने लगा। तभी मुझे लगा के दरवाजे के पास कोई है। मैं चुपचाप दरवाजे के पास गया, मैंने सोचा था कि पिंकी होगी पर जैसे ही मैंने दरवाजा खोला पिंकी नहीं, भाभी थी। भाभी मुझे देख कर वापस जाने के लिए मुड़ी। भाभी के माथे पर पसीना आया हुआ था।..
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